उफ़ !
उफ़ !
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कह भी दो न चुप रहो
कि सहना अब मुहाल है
मैं रहूँ कि न रहूँ
कुछ कहूं कि न कहूं
तुम हो तो हर सवाल है
जो रुक गई तो रुक गई
गर चल पड़ी तो चल पड़ी
ये सांस भी कमाल है
आह कहूँ कि वाह कहूँ
आबाद कि तबाह कहूँ
ये जीस्त भी बवाल है
07 -05 -2013
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (15-05-2013) के "आपके् लिंक आपके शब्द..." (चर्चा मंच-1245) पर भी होगी!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
शुक्रिया डॉ शास्त्री
Deleteख़ुशी होगी मुझे ..
सादर ..
ReplyDeleteजो रुक गई तो रुक गई
गर चल पड़ी तो चल पड़ी
ये सांस भी कमाल है------
जीवन का सच,सहजता से कही गहरी बात
सादर
पढ़ें "अम्मा"
आग्रह है मेरे ब्लॉग का भी अनुसरण करे
http://jyoti-khare.blogspot.in
शुक्रिया ज्योति जी
Deleteसादर ..
बहुत सुंदर भावपूर्ण!
ReplyDeleteडैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
latest post हे ! भारत के मातायों
latest postअनुभूति : क्षणिकाएं
शुक्रिया कालीपद जी
Deleteआपका ब्लॉग और आपकी रचनाएं बहुत सुन्दर हैं .
सादर ..
बहुत खूब ....
ReplyDeleteशुक्रिया संगीता जी
Deleteसादर
जो रुक गई तो रुक गई
ReplyDeleteगर चल पड़ी तो चल पड़ी
ये सांस भी कमाल है
...वाह! बहुत सुन्दर रचना...
आभार कैलाश जी
Deleteस्वागत है आपका ..
सादर
आह कहूँ कि वाह कहूँ
ReplyDeleteआबाद कि तबाह कहूँ
ये जीस्त भी बवाल है
bahut hi khubsoorat
k.l.grover
तहे - दिल से शुक्रिया ..
Deleteसादर ..
आज ( २९/०५/२०१३ - बुधवार )को आपकी यह पोस्ट ब्लॉग बुलेटिन - आईपीएल की खुल गई पोल पर लिंक की गयी हैं | आप भी नज़र करें और अपना मत व्यक्त करें | हमारे बुलेटिन में आपका हार्दिक स्वागत है | धन्यवाद!
ReplyDeleteशुक्रिया तुषार जी ,
ReplyDeleteसादर ..