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Monday, 13 May 2013

उफ़ !




उफ़ !
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कह भी दो न चुप रहो
कि सहना अब मुहाल है

मैं रहूँ कि न रहूँ
कुछ कहूं कि  न कहूं
तुम हो तो हर सवाल है

जो रुक गई तो रुक गई
गर चल पड़ी तो चल  पड़ी
ये सांस भी कमाल है

आह कहूँ  कि  वाह कहूँ
आबाद कि  तबाह कहूँ
ये जीस्त भी  बवाल है

07 -05 -2013


14 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (15-05-2013) के "आपके् लिंक आपके शब्द..." (चर्चा मंच-1245) पर भी होगी!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. शुक्रिया डॉ शास्त्री
      ख़ुशी होगी मुझे ..

      सादर ..

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  2. जो रुक गई तो रुक गई
    गर चल पड़ी तो चल पड़ी
    ये सांस भी कमाल है------
    जीवन का सच,सहजता से कही गहरी बात
    सादर


    पढ़ें "अम्मा"
    आग्रह है मेरे ब्लॉग का भी अनुसरण करे
    http://jyoti-khare.blogspot.in


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    1. शुक्रिया ज्योति जी

      सादर ..

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  3. बहुत सुंदर भावपूर्ण!
    डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
    latest post हे ! भारत के मातायों
    latest postअनुभूति : क्षणिकाएं

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    1. शुक्रिया कालीपद जी
      आपका ब्लॉग और आपकी रचनाएं बहुत सुन्दर हैं .

      सादर ..

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  4. Replies
    1. शुक्रिया संगीता जी

      सादर

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  5. जो रुक गई तो रुक गई
    गर चल पड़ी तो चल पड़ी
    ये सांस भी कमाल है

    ...वाह! बहुत सुन्दर रचना...

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    1. आभार कैलाश जी
      स्वागत है आपका ..

      सादर

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  6. आह कहूँ कि वाह कहूँ
    आबाद कि तबाह कहूँ
    ये जीस्त भी बवाल है
    bahut hi khubsoorat
    k.l.grover

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    1. तहे - दिल से शुक्रिया ..

      सादर ..

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  7. आज ( २९/०५/२०१३ - बुधवार )को आपकी यह पोस्ट ब्लॉग बुलेटिन - आईपीएल की खुल गई पोल पर लिंक की गयी हैं | आप भी नज़र करें और अपना मत व्यक्त करें | हमारे बुलेटिन में आपका हार्दिक स्वागत है | धन्यवाद!

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  8. शुक्रिया तुषार जी ,

    सादर ..

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