------------- वो -------------------
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कौन था जो
अनकही सुनता था
सपने बुनता था
अपने चुनता था
क्या था जो
घुटन में सहलाता था
खुली आँख को सुलाता था
दर्द को बहलाता था
कैसा था जो
सपने सजाता था
अपने बनाता था
रूठे मनाता था
कोई था जो
बेचैन कुलबुलाता था
जबरन मुस्कुराता था
पास बुलाता था
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कौन था जो
अनकही सुनता था
सपने बुनता था
अपने चुनता था
क्या था जो
घुटन में सहलाता था
खुली आँख को सुलाता था
दर्द को बहलाता था
कैसा था जो
सपने सजाता था
अपने बनाता था
रूठे मनाता था
कोई था जो
बेचैन कुलबुलाता था
जबरन मुस्कुराता था
पास बुलाता था
Koi kahin kuchh aise hote hain, jin ka apna shaayad kuchh nahi hota. Woh jeete hain ki aur log jiyen, sab khush hon.
ReplyDeletemeri talaash ko manzil tak jaana hai ...khushi par sabka baraabar haq honaa chaahiye ..
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