क्यूंकि सीखा हुआ सब गलत साबित हुआ
बहुत ही बढ़िया सादर
तह-ए-दिल से शुक्रिया ..यशवंत जी
कल 07/10/2012 को आपकी यह खूबसूरत पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
नई-पुरानी-हलचल में पुन: शामिल होने पर मुझे बेहद ख़ुशी है ..आभार यशवन्त जी ..
सही कहा तर्क की कसौटी पर वास्तव में कुछ नहीं दिखता!
जबकि माना इसी कसौटी को सही जाता है ...आभार धीरेन्द्र जी ..
वंदना जी बहुत उम्दा.... हाथों के खालीपन मेंवाह
आपको अच्छा लगा पढ़कर , मुझे बहुत ख़ुशी हुई ..आभार भारत ..
आभार भरत*
Haan bahut kuchh kehte hain log. Par kya karte hain yeh zyaada matlab rakhta hai.
जी, सही ..आभार प्राणेश जी ..सादर
बहुत सुन्दर रचना वंदना जी....गहन भाव समेटे हुए...अनु
अक्सर उलझन बहुत गहन सोच तक ले जाती है ...आभार अनु .. उस हद तक महसूस करने के लिए ..
जहां तर्क होता है वहाँ दिल के दरवाजे बंद हो जाते हैं .... सुंदर अभिव्यक्ति
बहुत खूबसूरत ढंग से आपने तर्क को खारिज किया है ..आभार संगीता जी ..
गहन भाव व्यक्त करती सुन्दर रचना..:-)
आपके आगमन ने एक अच्छा अहसास दिया है मुझे ..आभार रीना जी ..
bahut sundar
आपकी टिप्पणी अनमोल है ..आभार ममता जी ..
बेहद करीब दिल को छूती,गहन और सुन्दर रचना !!!सादर
बहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteसादर
तह-ए-दिल से शुक्रिया ..यशवंत जी
Deleteकल 07/10/2012 को आपकी यह खूबसूरत पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
नई-पुरानी-हलचल में पुन: शामिल होने पर मुझे बेहद ख़ुशी है ..
Deleteआभार यशवन्त जी ..
सही कहा तर्क की कसौटी पर वास्तव में कुछ नहीं दिखता!
ReplyDeleteजबकि माना इसी कसौटी को सही जाता है ...
Deleteआभार धीरेन्द्र जी ..
वंदना जी बहुत उम्दा
ReplyDelete.... हाथों के खालीपन में
वाह
आपको अच्छा लगा पढ़कर , मुझे बहुत ख़ुशी हुई ..
Deleteआभार भारत ..
आभार भरत*
DeleteHaan bahut kuchh kehte hain log. Par kya karte hain yeh zyaada matlab rakhta hai.
ReplyDeleteजी, सही ..आभार प्राणेश जी ..
Deleteसादर
बहुत सुन्दर रचना वंदना जी....
ReplyDeleteगहन भाव समेटे हुए...
अनु
अक्सर उलझन बहुत गहन सोच तक ले जाती है ...
Deleteआभार अनु .. उस हद तक महसूस करने के लिए ..
जहां तर्क होता है वहाँ दिल के दरवाजे बंद हो जाते हैं .... सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत ढंग से आपने तर्क को खारिज किया है ..
Deleteआभार संगीता जी ..
गहन भाव व्यक्त करती सुन्दर रचना..
ReplyDelete:-)
आपके आगमन ने एक अच्छा अहसास दिया है मुझे ..
Deleteआभार रीना जी ..
bahut sundar
ReplyDeleteआपकी टिप्पणी अनमोल है ..
Deleteआभार ममता जी ..
बेहद करीब दिल को छूती,गहन और सुन्दर रचना !!!
ReplyDeleteसादर