विधि
--------------
एक औरत लें
किसी भी धर्म ,जाति ,उम्र की
पेट के नीचे
उसे बीचों-बीच चीर दें
चाहें तो किसी भी उपलब्ध
तीखे पैने औज़ार से
उसका गर्भाशय ,अंतड़ियां बाहर निकाल दें
बंद कमरे ,खेत ,सड़क या बस में
सुविधानुसार
उसमे कंकड़,पत्थर ,बजरी ,
बोतल ,मोमबत्ती,छुरी-कांटे और
अपनी सडांध भर दें
कई दिन तक ,कुछ लोग
बारी बारी से भरते रहें
जब आप पक जाएँ
तो उसे सड़क पर ,रेल की पटरी पर
खेत में या पोखर में छोड़ दें
पेड़ पर भी लटका सकते हैं
ध्यान रहे ,उलटा लटकाएं .
उसी की साडी या दुपट्टे से
टांग कर पेश करें
काम तमाम न समझें
अभिनव प्रयोगों के लिए असीम संभावनाएं हैं।
Itna gussa maine shabdon main nahi dekha, Par jo bhi hai sahi hai, bahut sahi.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज मंगलवार के "रेवडियाँ ले लो रेवडियाँ" (चर्चा मंच-1230) पर भी होगी!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
मार्मिक और इतना गुस्सा |
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
आज इसी क्रोध की जरूरत है।
ReplyDeleteuffffffffffffffff :(((((((((
ReplyDeletekya hai ye ???
itna gusssssssssa!!
MAN SANN RAH GAYA ...ABHINAV PRAYOGO KE LIYE ASIM SAMBHAVNAYE HAI IS LINE NE JAISE KHOON HI JAMA DIYA...
ReplyDelete