कहना है बहुत
कहा कुछ नहीं
फिर भी
कहते रहो तुम
सिर्फ सुनूँ मैं
दुनिया है हसीं
वक़्त है नहीं
तो जाओ
उधर देखो तुम
तुम्हे देखूं मैं
बरसे बदलियाँ
नयन न कभी
बरसाएं जल
हरे रहो तुम
सूख जाऊं मैं
मंजिल हो गगन
क़दमों में ज़मीन
हौसला लिए
आगे बढ़ो तुम
पीछे रहूँ मैं
वादों को कहो
ज़हन में कभी
कुलबुलाएं न
भूल जाना तुम
याद रखूँ मैं
(Picture courtesy Google)
वादों को कहो
ReplyDeleteज़हन में कभी
कुलबुलाएं न
भूल जाना तुम
याद रखूँ मैं
humesha ki tarah bahut sundar nazm ..
कभी कभी बस यूँ ही ...यूँ भी ...
Deleteशुक्रिया शोभा ..
वाह..बहुत ही ख़ूबसूरत प्रस्तुति|लिखती रहो आप..पढते रहेगे हम |
ReplyDeleteआप, और बाकी भी दोस्त ही तो संबल हैं मेरा जो साझा करने का हौसला देते हैं ..
Deleteशुक्रिया पिंकी
अव्यक्त व्यक्त...सुन्दर- सहज कविता।
ReplyDeleteजी ..सिद्धेश्वर जी
Deleteशुक्रिया सर ..
एक और प्यारी सी कविता है भावों से भरी
ReplyDeleteयूँ ही लिखती रहें आप सदा
पढ़ते रहें हम , बेहद कोमल अभिव्यक्ति !!!
दिल से निकली दुआएं हैं ..
Deleteशुक्रिया इंदु ..आप ही तो ताक़त हैं हमारी
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति वंदना जी....
ReplyDeleteअनु
बहुत बहुत शुक्रिया अनु जी ..
Deleteआभार अनु जी ..
Deleteबहुत खूब - अति सुंदर
ReplyDeleteशुक्रिया राकेश जी ..
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