वो कुछ कुछ मेरा सा है
कुछ अपना सा
तमाम नफरतें नहीं खींच पायी
एक लकीर मेरे दिल पर
वो खारे पहाड़
वो लदे हुए ऊंटों की कतार
इत्र के दीवाने
मेले के ख्वाहिशमंद,रौबीले
काबिल और हुनरमंद
पतलून में सलवट को लेकर
फिक्रमंद राजकंवर को
इकलौती कुर्सी पर सहेजे
मल्लाह की पतवार के इशारों पर
दरिया के सीने पर सवार
वो कश्तियाँ
वो ऊंचे द्वार
दूर दूर तक फैला
विशाल घर-आँगन
कतार-बद्ध कर-बद्ध हुजूम
वो सलोनी सी
पढ़ती थी ,गुनती थी
धीमा सा हंसती और सब कह देती
अपनी ही दुनिया में मगन
मुस्कान से जगमगा देती सब
जो नहीं कर पाता था
माँ के जिस्म पर लदा
एक किलो सोना भी
और उस दिन
सकुचा गई अन्दर तक
जब राजकंवर ने पूछा ,
'ऐ लड़की ,तुझे उर्दू आती है ?
उसे उर्दू आती थी
और फिर पढ़ते रहे
दोनों ताउम्र
किताबें, रिसालें
और ज़िन्दगी ..
साथ साथ
एक अतृप्त सी तलाश ले जाती है
अंधेरों से गुज़रती
जड़ों की ओर
लौटती है नाकाम
बंद आँखों में बनती-बिगडती
एक तस्वीर
खुद की पहचान खोजती
सहलाती है
रूह पर लिपटी उदासी को
दिखाती है हक़ीकी आईना
कुछ साए हैं
फ़ैल जाते हैं शाम ढले
एक छोर से दूसरे छोर तक
ढक लेते हैं स्मृतियों को
सायों के भयावह नर्तन में
धब्बे हैं खून के
चिपके हैं आत्मा पर
एक पूरा ख़ूनी इतिहास लिखे जाने के बाद
बहता खून
दरक चुके रिश्ते
तमाम दांव-पेंच
नहीं खींच पाए मेरे दिल पर
एक लकीर
जो गिरी थी गाज की तरह सरहद पर
क्यों कि दूर कहीं है
जिस्म से कटा एक हिस्सा
जिला मियाँ वाली
और है
एक 'काला बाग़'
एक 'माड़ी'
वो ठिकाना था
सपनों का
मेरे अपनों का
यादों के बक्से को खोल कर
ReplyDeleteउसने दो मोती उसको दे दिये
५५ बरस बीते
आज भी
फेरता रहता है
दो मोतियों की तस्बीह
.....................
वंदना जी वाह
भरत , आपने उसी श्रृंखला में कुछ और कड़ियाँ जोड़ कर रचना को एक नया आयाम दे दिया है ..बहुत शुक्रिया .
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहता खून
Deleteदरक चुके रिश्ते
तमाम दांव-पेंच
नहीं खींच पाए मेरे दिल पर
एक लकीर
जो गिरी थी गाज की तरह सरहद पर
क्यों कि दूर कहीं है
जिस्म से कटा एक हिस्सा
-------------------------
धब्बे हैं खून के
चिपके हैं आत्मा पर
एक पूरा ख़ूनी इतिहास लिखे जाने के बाद...... इस कविता ने स्तब्ध किया वंदना दी ... आपकी कविताओं के रूमानी और एक बेबाक लेकिन संजीदे स्वर से कहीं अलग लेकिन बिम्ब इतने सजीव कि एक तस्वीर सी उभरती है जो चौंकाती है लेकिन मन में एक गहन पीड़ा भी छोड़ जाती है .... एक सशक्त कविता की ढेरों बधाई .....
रश्मि ..आप हमेशा रचना के साथ जुड़ कर उसे महसूस कर जो कहती हैं , वह काबिल-ए-गौर होता है ..कविता पर मात्र औपचारिक टिप्पणी न होकर यह आपकी बहुत मौलिक अभिव्यक्ति होती है .
Deleteअदभुत बिम्ब विधान...लगता है जैसे इतिहास पन्ना दर पन्ना खुल रहा है और वर्तमान दौड़ पड़ा है उसे किसी भी कीमत पर रोकने को....बहुत मार्मिक है यह रचना....
ReplyDeleteआभार माया जी ... कितना भी दौड़ा ...वर्तमान पर इतिहास हावी रहा हमेशा .
Deleteउत्कृष्ट कविता बहुत मार्मिक है
ReplyDeleteआभार संजय जी ..
Deleteस्तब्ध सी रह गई ...मुलामियत के अहसास से गुज़रती खुरचती हुई कहीं और आ खड़ी हुई ..
ReplyDeleteकुछ साए हैं
फ़ैल जाते हैं शाम ढले
एक छोर से दूसरे छोर तक
ढक लेते हैं स्मृतियों को
सायों के भयावह नर्तन में
धब्बे हैं खून के
चिपके हैं आत्मा पर
एक पूरा ख़ूनी इतिहास लिखे जाने के बाद
........वंदना ...सिर्फ ...वंदन ........
आभार निरुपमा ..मेरे अहसास तुम्हारे अहसास को छू सके .... इससे खूबसूरत अहसास कोई नहीं ..
Deleteहर दिल के दर्द का वो हिस्सा जो दबा हुआ है सब में ,आपने बखूबी उस दर्द को जिया है जैसे....हर एक पंक्ति इतिहास के गुजरे हुए पन्नों को पलट रही है .....
ReplyDeleteअद्भुत लेखन वंदना दी, साझा करने के लिए आभार ....ऐसे लेखन के लिए नमन आपको....
सादर
इंदु
आभार इंदु .. कुछ दर्द जी लेने के बाद भी दर्द ही रह जाते हैं .. ज़िन्दगी को पूरा नहीं होने देते ...
Deleteकुछ साए हैं
ReplyDeleteफ़ैल जाते हैं शाम ढले
एक छोर से दूसरे छोर तक
ढक लेते हैं स्मृतियों को
सायों के भयावह नर्तन में
धब्बे हैं खून के
चिपके हैं आत्मा पर
एक पूरा ख़ूनी इतिहास लिखे जाने के बाद
बहुत मार्मिक अभिव्यक्ति .. अद्भुत !!
आभार शोभा ..साए ढकते रहे और स्मृतियाँ हैं कि उघड उघड आती हैं ..
Deleteतमाम नफरतें नहीं खींच पायी
ReplyDeleteएक लकीर मेरे दिल पर.....
वाह वंदना दी वाह..
इतना गहराई से लिखती हो कि दंग कर देती हो..अद्भुत अभिव्यक्ति,बधाई और शुभकामनाएँ .. !!
किसी के दिल पर कम-से-कम नफरत की लकीर तो न ही देखें ..आपने गहरे में जाकर रचना के मर्म को समझा ..आभार पिंकी
DeleteKrishanlal Grover8 October 2012 03:33
ReplyDelete----------------------------------------
Itefaqan younhi aap tak aa pahuncha, aur aap ki kavita padhi,…kuchh dinon se aata hun is ko padhne ke liye,,,main kavita nahin likhta aur agar likhta hota to ehsas wohi hote,,,kala bagh ka woh rail ka pul, ooske neeche behta woh darya aur dur baadlon main lipte khubsoorat pahaad,,,,,isakhel main mere ghar ka woh bahut bada aangan ,,,,oos main ke bahut sare darakht jinpar kaiyee baar din main chadta aur utarta main…meri bulbul mera bater… woh quram darya,,,,jis par jab jaata toh maan ka haath chhura kar kood padta aur tairta rehta….woh sindh darya jo samundar zyada lagta tha darya kam,,,,woh ghode aur who oonton ke kachaave,,,,,,,woh khaji ke darakht aur pathar phaink kar bahut sari khajoor tod kar girana aur khaana,,,who kalur, who trag aur who maadi aur mianwali……phir kaun thay who log jinhon ne naqshe par ek lakeer khenchi….aur hum se hamaara bachpan chheen liya,,,…kitne dard bhare din thay woh jab hum har oos gaadi main apnon ko dhoondte thay jo udhar se idhar aati thi,,,,sab kuchh udhar aur idhar main tabdeel ho gaya tha ,,,,,,,,is ke baad toh aap ke yah ehsasaat…mere ehsasaat ban jaate hain,,,,,,,,,,
कुछ साए हैं
फ़ैल जाते हैं शाम ढले
एक छोर से दूसरे छोर तक
ढक लेते हैं स्मृतियों को
सायों के भयावह नर्तन में
धब्बे हैं खून के
चिपके हैं आत्मा पर
एक पूरा ख़ूनी इतिहास लिखे जाने के बाद
Vndana ji main aap ko naman karta hun,,,,aap kuchh aur bhi likhiye,,,,bahut achha likhti hain
यह नाम मेरे लिए पूरी कायनात है ..कृष्णलाल ग्रोवर ..मेरी जड़ें ..मेरी पहचान ..मेरे वालिद ..
Deleteऔर आपका इस नाम से जुड़ा होना मेरे दिल में इज्ज़त के सिवा और कुछ नहीं बताता मुझे ...
तह-ए-दिल से शुक्रिया ..आपके आने ने मेरे लिखने को सार्थक कर दिया ..
सादर
Ek din ghoomte hue aap tak pahuncha tha, aaj dhoondte hue aa pahuncha hun, beech main kahin shayad waqt ki marzi ki us ne mujhe aap ke is page se duur rakha
DeleteAap ke yeh ehsasat bahut dinon bad padne hain, i wish I had read these lines of yours earlier…..maen bahut jazbatti ho gaya hun aap ke bhaav pad kar…..meri umr 76 saal hai aur umr insaan ko kamzor kar deti hai….,aur aap key yeh pyar bhare shabd pad kar meri aankhen bhar aain, jahaan aap ki talaash khatm hui wahan shayd MAEN ek baar phir gum ho gaya ….. aapne bahut hi izzat ka maqam mujhe diya hai…apne walid sahib ke naam se juda honey par….yaqeen maniye maen is waqt toh likh nahin paa raha….but I m sure I will keep comimg and seeing you in your poems
Lagta hai maen ne aap ki kuchh kavitaon ko jiya hai…aap bahut achha likhti hain…..bahut bahut saara pyar ….k.l.grover
एकबारगी तो मुझे लगा था कि मैंने दोबारा अपने वालिद को खो दिया है .
Deleteमैं नहीं समझ पा रही ये कैसा इत्तेफाक है कि आप दोनों बार मेरी ज़िन्दगी के बहुत अहम दिन पर आये हैं ..पहली बार 8 अक्टूबर ,जब वालिद साहब का जन्मदिन था और दूसरी बार आज ...जब ज़िन्दगी का एक और अहम दिन करीब है ...मैंने ''टापों की आवाज़ '' आपके लिए ही लिखा था ..आपकी टिप्पणी से ही कुछ घटनाएं और लफ्ज़ लेकर ...और उम्मीद करती रही कि आप आयेंगे ..जब बहुत दिन आपका आना नहीं हुआ तो मुझे लगा कि किसी ने अपने वालिद साहब के लिए मेरी कमजोरी देखकर मुझे दिलासा देने के लिए लिखा है ..कभी ऐसा भी लगा कि मेरे साथ किसी ने बहुत क्रूर मज़ाक किया है ..फिर ये भी ख्याल आया कि आखिर ऐसा कोई क्यूं कर करेगा ..पर उम्मीद कभी नहीं छोड़ी थी मैंने ...आज खुश्क आँखें पुरनम हो बेइन्तहा बेकाबू हुई ..
आप आते रहेंगे ..मेरे लिए काफी से कहीं बहुत ज्यादा है ...
सादर ..
Apni zindagi ko kalamband karne ki koshish ki jab ek baar maen ne, to ek jagah maen ne likha tha…..”Man always lives in constant fear; if you win one you will have another one. But things do not happen, because we want them to happen that way, they happen because God wants them to happen that way..” Itefaq shayad hum jis ko kehte hain those are designes of God, everything happens for a reason……mera 8 october ko aana,,,,ya phir ek baar phir aaj aana, jo ek baar phir aap ke liye bahut zaroori din ke qareeb hai,,,,,is definetly not designed by me and you but an act of God. Kahin pada tha aur maen is baat ko poori tarah se manta huun,,…..people come into our lives for a reason, and when there role,,,,achha ya bura (not qualitifying or quantitifying ),,,,is over they go out of life….that is one reason that people keep coming in and going out of our life…..it is my journey, it is your journey, it is every ones journey….’taapon ki awaz’…maen ne padi, bahut sundar, pad kar laga maen hi huun….thank u nahin kahunga, naqafi aur ghair zaroori hoga…
DeleteBahut saara pyar, aashirwad aur ek khuwahish, hamesha khush rahen aap….k.l.grover
आप दोनों बार मेरी ज़िन्दगी के बहुत अहम दिन पर आये हैं ..पहली बार 8 अक्टूबर ,जब वालिद साहब का जन्मदिन था और दूसरी बार आज ...जब ज़िन्दगी का एक और अहम दिन करीब है……………..
DeleteYeh 2 tareekh ke aap ke comments thay aur is ke baad maen roz aata hun ,,,,,,,,,,aap nahin aain,…..ek prarthna roz karta hun bhagwan se ki aap hamesha sehatmand rahen, khush rahen aur aabad rahen…intezar karunga….k.l.grover
मैं हाज़िर हूँ .मेरी ज़िन्दगी का वो अहम दिन जिसका मैंने जिक्र किया था ,आपके आशीर्वाद से एक कामयाब दिन रहा।माफ़ी चाहती हूँ अपनी इस गैर-मौजूदगी के लिए .., जिंदगी बहुत करिश्माई है ..और बार बार चकित करती है ,इत्तेफाक में यकीन न भी किया होगा तो अब करना होगा ..मेरे वालिद कहा करते थे कि भगवान सब ठीक करेगा ,पत्थर की लकीर की तरह ये अलफ़ाज़ ज़हन में खुदे हैं ..ठीक कहते हैं आप कि कुछ भी बेवजह नहीं होता ..और फिर वजह ढूंढना हमारा काम नहीं है ,भगवान चाहता है तो होता है .
Deleteआपकी दुआएं आपका प्यार मेरी हिम्मत बन गया है .ये और बात है कि उलझन भी है क्यों कि धुंध भी बहुत है .पर कुछ चीज़ें कुछ बातें आपके इख्तियार में नहीं होती ..
आप ख़ुशी आपकी सलामती आपकी सेहत के लिए दुआ करती हूँ
सादर ...
वंदना
aap theek hain, sab kuchh achha ho gaya, khushi hui,,,,Aapke walid sahb ne theek kaha tha, perhaps he knew law of attraction, that positive thinking attracts positivivity and can create life-changing results ..The life of our dreams has always been closer to us than we realized, because The Power - to have everything good in life - is inside us..however i m glad to see you back, GOD BLESS YOU
Deleteआपके अलफ़ाज़ में मैं बहुत कुछ ढूंढती हूँ ..कुछ पा लेती हूँ ...और कुछ तलाश बाकी रह जाती है ...कहाँ ले जायेगी ये तलाश ..नहीं जानती ..एक नई तरह की सोच पैदा हुई है ...पहले खौफ पैदा किया जिसने बहुत गहरे तक हिला ड़ाला ..फिर जैसे रहस्य की दुनिया में ला पटका ..बेसब्री दी ... बेकाबू रुदन दिया ..और अंतत: सब्र और ठहराव तक ले आई ..ज़िन्दगी के इस तजुर्बे को जुबां देने की कुव्वत नहीं है मेरे पास ..जो है मेरे पास ..जो कुदरत ने दे दिया है अब ..बस,उसे जीना चाहती हूँ ...सहेजना चाहती हूँ ..शिद्दत से महसूस करना चाहती हूँ ...इन दुआओं का असर जीना चाहती हूँ ..दुआएं देना चाहती हूँ ..
Deleteसादर ..
Kuchh din aa nahi saka…ummeed hai maaf karengi…..Zindagi shayad silsila hai, ek na khatam hone wali talaash ka, koi bhi to apne aap main mukammal nahin, har koi khud ko poora karne main laga hai kaun poora ho paya hai, zindagi poori guzar jaati hai aur koi na koi ehsaas-e-mehroomiat reh jaata hai,
DeleteThe unpredictability of life, throws many chellanges,it leaves many happy moments and it leaves many unsolved questions too, that is LIFE…..i like a poem, and I m writing below a few lines for you, I m sure you will like it
"I am neither low nor high,
I am the worshipper and the worshipped.
I am free.
My song is the song of the river
Calling for the open seas,
Wandering, wandering,
I am Life.".
This line: I am the worshipper and the worshipped….tells a lot,….. You are the seeker and the sought, you are the devotee and the deity, you are the temple and the Master of the temple. You need not go anywhere. If you need go anywhere it is only inwards, into your own interiority.
Aap ko bhagwan ne likhne ka hunar bakhsha hai, aap apne ehsasaat ko bakhoobi alfaaz main dhalti hain aur likhti rahiye....bahut achha likhti hain
bahut saara pyar, aashirwad aur dua ki aap hamesha khush rahen
ज़िन्दगी को उसी की तरह तयशुदा ढंग से न जीना ही ज़िन्दगी जीने का हुनर है ,तलाश उसी हुनर का ही एक आयाम है -- बाहर हो या भीतर -- तलाश ख़त्म हुई तो ज़िन्दगी खत्म है ..तलाश का रुख ही ज़िन्दगी का रुख तय करता है ..मेरी खुशकिस्मती है कि इतने खूबसूरत अलफ़ाज़ साझा किये आपने मेरे साथ ...लौटा दिया एक बार फिर मुझे मेरी जड़ों के पास ...जहाँ पहुँच कर बहुत नमी महसूस होती है ..अनजाने में ही हाथ कुछ मांगने की मुद्रा में खुल जाते हैं ..फिर ये ख्याल कि जब बिना मांगे ही इतना मिला है तो अगले ही क्षण हाथ सिमट कर बंद मुट्ठी की शक्ल ले लेते हैं ....आप आते रहिये अपनी सहूलियत के मुताबिक ...आपकी दुआओं का भरोसा रहता है साथ मेरे ...सुकूनबख्श तो है ही ,हौसला-अफजाई के लिए भी काफी है .
Deleteसादर ...
aap se itna pyara rishta jud gaya hai aur main aap ko apni pehchaan dena bhool gaya LOL...neeche ek website ka naam likh raha hoon,usko google par dekhiyega to mujhe paaiyega..yeh ek personal mujh se judey logon ki site hai...khud ko busy bhi to rakhna padta hai is umr main..
Deleteidpl1963russiatrip...
bahut pyar aur bahut sara aashirwad
Aadarneey
Deleteidpl1963russiatrip ke zariye aapko jaan'na ek nihaayat nayaa tazurbaa hai ..aapne mujhe aur maine aapko jo darja aur rutbaa diyaa hai ,woh hamaari umr ke hisaab se bilkul maaqool hai ... meri paidaaish partition ke bahut baad ki hai ..aapne jo bhoga hai ..maine usse jiyaa hai ..har pal ..apne grand parents , parents aur parivaar k saath ...aaj maine aapke zariye Saraiki Music bhi sunaa ...ab jab k main uss daur ko likhna chaahti hoo'n toh bahut zyaada log nahi'n hain mere aas-paas uss daur ke jinse main baat kar sakoo'n..jaise main 'Kachaawa' ka sahi pronunciation aur meaning jaan'na chaahti thi ..aise hi ek jagah aapne 'trag' ka ziqr kiyaa tha...kuchh naamo'n se main bahut achchhi tarah waaqif hoo'n aur kuchh lafz maine aapse sune ..
aapki kitaab agar padna chaahoo'n toh kaise pad sakti hoo'n ?
Saadar ..
vandana ji
Deleteaapko meri site achhi aur informative lagi, is baat ki khushi hai...jahaan tak kitaab ka ta-aluq hai, woh proposed book hai, jo main complete nahin kar paya.....waise main ne kuchh aur chapter jode hain, ek baar phir padh lijiyega, agar waqt miley to...aap us daur ko likhna chahti hain, jis ko main ne bhoga hai aur aapne jiya hai...it is a very interesting thought, bahut sundar likhengi aap,...i will be honourd and glad to share with you, those times,...mujhe aap bataiye ki yeh kaise mumkin hai....and i will make it mumkin....bahut sara pyar aur aashirwad,aap hamesha khush rahen..
vandana ji, kuchh muddat se aap nahin aain apni is site par aashaa hai aap sakushal hongi.Aap ke liye apni website par FORUMS, main ek page create kiya hai, aap jab chaahen, partition ke samay ko ya apne us ilaqe ko, ya aur bhi jo chahen, discuss kar sakti hain, God bless and take care
Deleteआदरणीय
Deleteकृतार्थ हूँ मैं ...कहाँ से बात शुरू करनी थी ,भूल गई ..खुद को आपकी साइट पर यूँ देखकर जज्बाती हो गई ..दो-तीन दिन से मैं लगातार देख रही हूँ ,पर कुछ कहने की स्थिति में नहीं महसूस कर पायी ..उबरने में वक़्त लग रहा है ..
बहुत सारे सवाल हैं ज़हन में ....जब कोई जिज्ञासा सर उठाएगी ,मैं आपके पास उसके हल के लिए आउंगी ..हक से ..
मुझे उस दौर की बातें सुनना अच्छा लगता है ,मैं नए चैप्टर नहीं पढ़ पायी ..दर-असल मैं साइन-इन नहीं कर पा रही ..वजह नहीं जानती ..पर मैंने खूबसूरत सराइकी म्यूजिक सुना ..बार-बार ...शुक्रिया
सादर ..
vandana ji, khush rahiye,,,darasal jab tak insaan service main hota hai, to sochta hai,retirement ke baad free ho jaaoonga,,,,aur phir jab retire ho jaata hai to lagta hai jaise ab kisi ko keh he nahin sakte ki main buzy hun.....khair sorry aap ko main explain nahin kar paya ki....is ka aisa set up hai ki... aap ko meri site par kuchh likhne ke liye register karwana hoga...it is very personal site....my children and grand children,,,some close relations and friends are members...so when you go on forums and click on sone chiraya my comments will open,,,then click on quote and register...fill up the form and send it..i will approve and then you are member....and then you can write anything and we can discuss a lot....aasha hai aap bakhairiat hain..meri duaen aap ke saath hain...God Bless you.. mujhe bahut khushi hogi jab aap se baat karne ka mauqa milega...in fact ifeel honoured
Deleteaasha hai aap sakushal hongi,....i had recieved a request from a Vandana Grover, whom i have made the ember of my website...., but i have a doubt that it is not you, some other Vandna Grover, who is 22 years old, will you please confirm that it is you...pl confirm it is important....God bless you, take care
Deletenamaste Aadarneey ..
Deletemain kuchal hoon aur aisii hi duaa aapke liye karti hoo'n .Jee,main hi hoo'n ..age ke maamle mein kahi'n koi galti hui hai ..
saadar ..
उम्मीद करती हूँ आप ठीक हैं ,मैं आपके ब्लॉग पर कुछ नही लिख पा रही हूँ .कल से पहले भी कोशिश की थी .क्या इसके सिवा और कोई जरिया है आपसे बात करने का .कल मैंने आपकी बहुत खूबसूरत रचनाएं पढ़ी ,उनसे मुत्तालिक मैं कुछ लिखना चाहती थी .
Deleteसादर
vandana ji, sasneh bahut sara aashirwad, aap ko ek mail bheji hai,,,jawab ka intezar karunga ....haan kuchh ghaltian mujh se hui hain , ki aap mere blog par likh nahin paain,,,, kya likha hai main ne jo aap ko pasand aaya... aur kya comment karengi aap, darta hun,,aap ki tarah kavi nahin hun is liye...hahahaha
Deletebahut sara pyar aur aashirwad
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteParikalpana se yahan pahucha.. vyarth nahi raha pahuchna..:)
ReplyDeletebehad marmik aur shaandaar rachna..:)
आप की इस टिप्पणी ने बहुत हौसला अफजाई की है मुकेश जी
Deleteस्वागत है आपका ..