एक थी सोन चिरैया .......................
क्यूंकि सीखा हुआ सब गलत साबित हुआ
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Monday, 10 September 2012
तार तार कर दो
उधेड़ दो
मेरा क्या
ज़िन्दगी भी तुम्हारी ,बखिये भी
(2)
कुचलो ,रौंदो
आग लगा दो
अब मत सोचो
यह दर भी तुम्हारा ,यह देस भी
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