तुम्हारे आने से पहले
तय था तुम्हारा जाना
वक़्त मुक़र्रर था
तुम आये सकुचाते ,रुके ,संवरे और निखर गए
मेरी आँखों के आईने में
अपना अक्स निहारा
गरूर झाँक रहा था तुम्हारी आँखों से
आखिर सबसे हसीन मौसम का
खिताब जो मिला था तुम्हे
तुम्हारा खुद पर यूँ इतराना
अच्छा लगा मुझे
हर मौसम मेरा ही तो हिस्सा है
वो पतझड़ भी ,जो अब आया है
वो भी मेरा है
तुम भी तो मेरे थे .
तुम बदल गए
क्यों कि तुम्हे बदलना था
मैं जानती थी
बदलाव बनाया भी तो मैंने ही था
तुम जाओ
कि
जाते मौसम का
सोग नहीं मनाती मैं
विलाप नहीं करती
कभी कभी बरस जाती हूँ
कि तपते दिल को राहत मिले
बह जाती हूँ कि ज़ख्म धुलें
उठती हूँ गुबार बन के
कि न देखूं तुमको जाता
प्रकृति होने की यह सजा
खुद तय की है मैंने
अपने लिए
जाते मौसम का
ReplyDeleteसोग नहीं मनाती मैं /प्रकृति होने की यह सजा
खुद तय की है मैंने
अपने लिए
मर्मस्पर्शी!
Thankyou ..Santosh Bhaai ..
Deleteआखिर सबसे हसीन मौसम का
ReplyDeleteखिताब जो मिला था तुम्हे
तुम्हारा खुद पर यूँ इतराना
अच्छा लगा मुझे
हर मौसम मेरा ही तो हिस्सा है
वो पतझड़ भी ,जो अब आया है ...हम्म! वाह मौसम का ऐसा इस्तेमाल ........मौसम खुद का कन्धा थपथपा रहा होगा |
Thankyou Deepak Bhappe ... jab tak aapka haath sar par hai ..har mausam suhaana hai ..
ReplyDeleteसच मैँ दीदी...प्रकृति होने
ReplyDeleteकी सजा.....निःशब्द हूँ।
Thankyou ..Dileep Bhaa..
DeleteAapki aamad achchhi lagii ..
Aate rahiyegaa..
superr mam .....bahut sunder hai ......
ReplyDeleteThankyou Vandana ji ...
Deletebahut khoob maatey ............bahut hee badhiya .......
ReplyDeleteThankyou Sumit..
ReplyDelete.मौसम बदलते हैं...और मौसम का आनंद तठस्थ हो कर नहीं साथ चल कर उठाया जाता है ...:))आपके मौसम के रंग यहाँ तक पहुँच रहे."हर मौसम मेरा ही तो हिस्सा है "
ReplyDeleteaapne toh kavita hi likh dee... Rajluxmi ..
DeleteThankyou ..
हिन्दी ब्लॉगजगत के स्नेही परिवार में इस नये ब्लॉग का और आपका मैं संजय भास्कर हार्दिक स्वागत करता हूँ.
ReplyDeleteThankyou Sanjay Ji ..
Deleteकोई कोई सावन भी ऐसा निष्ठुर होता है
ReplyDeleteकि एक बार चला जाये
तो लौट कर नहीं अत
लाख दिन फूंको
लाख रातें जलाओ ...
Yahi Prakriti hai.. jo apne hii niyamo'm se bandhii hai ..Ashok Da
Deleteप्रकृति होने की यह सजा
ReplyDeleteखुद तय की है मैंने
अपने लिए !!!
निः शब्द करती रचना, भावों का ऐसा अभिव्यक्तिकरण,आप ही कर सकती हैं ...
सादर
तह-ए -दिल से शुक्रिया ..
Deleteस्नेह